बड़े उद्योगों की बड़ी विडंबना - सुनील

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में जेपी. सीमेंट कारखाने के गेट पर 22 सितंबर की सुबह समीप के गांवों के हजार से ज्यादा स्त्री-फरुष-बच्चे वहां अपनी मांग लेकर इकट्ठे हुए। मांगे रखने से पहले ही पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। फिर फैक्टरी प्रबंधन की ओर से गोलियां चली। एक नौजवान मारा गया। सौ के लगभग स्त्री-पुरुष घायल हुए, ज्यादातर घायलों को फैक्टरी के सुरक्षाकर्मियों की बंदूकों के छर्रे लगे थे। पुलिस व प्रबंधन का कहना है कि भीड़ बेकाबू हो गई थी और पथराव कर रही थी।
ग्रामवासियों की दलील है कि उन्हें हुड़दंग ही करना होता, तो स्त्रियां-बच्चें क्यों आते? ग्रामवासियों की मांग थी कि फैक्टरी में उन्हें स्थायी रोजगार दिया जाए। फैक्टरी उनकी जमीन पर बनी है, किंतु उन्हें इसमें रोजगार नहीं मिला। कुछ लोगों को रोजगार मिला, तो वह भी दैनिक मजदूरी पर अस्थायी चौकीदारों के रूप में। चौबीस वर्ष पहले 1983 में कारखाने का शिलान्यास करते समय तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने ग्रामवासियों से कहा था कि यह फैक्टरी आपके विकास के लिए है, आप जमीन दो, हम रोजगार देंगे। . . . . .पूरा पढ़ें

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