अदम्य बॉबी, न कि तितली

फिल्म समीक्षा :
फ्रांसीसी क्रान्ति को आत्मसात करता हुआ (Embodying French Revolution)
अग्र मस्तिष्क के निष्क्रिय हो जाने के परिणामस्वरूप अपने स्वयं के ही शरीर में वस्तुत: फंसे एक फ्रांसीसी लेखक पलक झपकने के रास्ते ही अपने सर्वोत्तम को प्रकट करते हैं। परिणाम में आयी है एक आश्चर्यजनक किताब जिस पर बाद में पुरष्कृत फिल्म भी बनी : एक समीक्षा।
-ऑंचल खुराना

द डाइविंग बैल एण्ड द बटरफ्लाई एक फ्रांसीसी पत्रकार, लेखक और इली मैगजीन के सम्पादक-जीन डॉमीनीक बॉबी के जीवन पर आधारित सत्य कहानी है, जिसमें उसका जीवन पलक झपकने जितने समय में ही बदल जाता है। वह अपने शरीर में ही कैद रहता है जब तक उसकी स्वयं की कल्पना उसे मुक्त नहीं करती। शीर्षक द डाइविंग बैल उसके शरीर को व्यक्त करता है जिसमें वह कैद है और तितली, विचारों की उसकी स्वतंत्रता को। बॉबी को मस्तिष्कीय आघात हुआ और उसके अग्र मस्तिष्क की सारी गतिविधियां रूक गयी, एक तरह से निष्क्रिय हो गयी। इस स्थिति को लोकप्रिय भाषा में ताले में

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