मानवाधिकार आयोग नींद में?

पीपुल्स वॉच द्वारा हाल में प्रकाशित सैबिन नायरहॉफ की पुस्तक 'फ्रॉम होप टू डिस्पेयर' यानी आशा से निराशा में निष्कर्ष निकाला गया है कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग भारत में मानव अधिकारों के उल्लंघन की शिकायतों पर कार्रवाई करने में बुरी तरह असफल रहा है। निष्कर्ष के मुख्य अंश :पीपुल्स वॉच के अध्ययन के निष्कर्ष राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के लिए काफी हद तक घातक हैं। विश्लेषण के किसी भी श्रेणी के परिणाम अनुकूल नहीं हैं।

कुल प्राप्त शिकायतों में से एक तिहाई से अधिक में आयोग ने शिकायतकर्ता को कोई जवाब नहीं दिया, इतना ही नहीं आयोग ने शिकायतकर्ता को यह बताने का कष्ट भी नहीं किया कि उसकी शिकायत मिल गई है या उस पर विचार किया जा रहा है।जिन मामलों में कोई प्रारम्भिक जवाब नहीं मिला उनमें शिकायतकर्ता औसतन दो से अधिक वर्ष से जवाब की प्रतीक्षा में हैं। ........ पूरा पढ़ें

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