ड्रग्स से सच उगलवाने का सफेद झूठ - पी चन्द्रशेखरन

फोरेंसिक साइंस के विशेषज्ञों का कहना है कि सच उगलवाने के लिए किसी अभियुक्त के शरीर में ड्रग्स का इस्तेमाल गैर-जरूरी है। जब पुलिसकर्मी पूछताछ के दौरान नार्को-एनालिसिस जैसे बाध्यकारी तरीकों का इस्तेमाल करते हैं तो वे कानून से ऊपर नहीं हो जाते। पूछताछ की किसी भी कार्रवाई में मानवाधिकारों की हिफाजत के सवाल को ताक पर नहीं रखा जा सकता, पी चन्द्रशेखरन का विश्लेषण

किसी अपराध की तहकीकात के क्रम में अभियुक्त से पूछताछ संबंधित केस का एक अहम पहलू होता है। पूछताछ यह एक तरह की कला होती है, जिसमें पारंगत होने के लिए काफी अध्ययन और तजुर्बा जरूरी है। पूछताछ उस सूरत में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है,जब किसी मामले में जांच एजेंसी के पास साक्ष्य नहीं होते या होते भी हैं तो उन्हें पर्याप्त नहीं माना जाता। पुलिस और अन्य जांचकर्ता किसी भी मामले की गुत्थी सुलझाने के लिए पूछताछ को सबसे श्रेयष्कर साधन मानते हैं। सभ्य मुल्कों में यह सर्वस्वीकार्य मानदंड है कि नैतिक और व्यावहारिक ...........पूरा पढ़ें

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