(भागलपुर दंगों की याद भर दिल दहला देती है। इन दंगों के मामलें में पिछले दिनों अदालत के फैसले के परिप्रेक्ष्य में स्वतंत्र मिश्र बता रहे हैं कि सांस्कृतिक पहलों के कमजोर पड़ने से दंगों जैसी बुरी घटनाएं होती हैं)
बिहार का भागलपुर शहर रेशमी वस्त्रों के उत्पादन के लिए प्रसिध्द रहा है। गंगा के तट पर बसे इस शहर को नाम के साथ बदनामी भी खूब झेलनी पड़ी है। हिन्दूवादी शक्तियों और राज-व्यवस्था के पैरोकारों की मिलीभगत ने आजाद भारत के 60 साल के दौरान कम-से-कम इसे दो बार निश्चित तौर पर सन्न किया। पहली बार 1980-81 में अंखफोड़वा कांड (जिसे पुलिस प्रशासन द्वारा अंजाम दिया गया था) तो दूसरी बार 1989-90 में हिन्दू-मुस्लिम साम्प्रदायिक दंगों के दौरान। .......पूरा पढ़ें