मुद्रा कोष: विकसित देशों का वायसराय

(विकसित देश यूं तो प्रजातांत्रिक व्यवस्था के पक्षधर नजर आते हैं। परंतु अपनी स्वार्थ सिध्दि हेतु वे किसी भी विश्व आर्थिक संस्थान को प्रजातांत्रिक व्यवस्था के अंतर्गत नहीं लाना चाहते। पिछले दिनों विश्व बैंक एवं अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उच्चतम पदों पर होने वाली संभावित नियुक्तियों ने पूरी प्रक्रिया को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। चयन की इस अलोकतंत्रीय प्रक्रिया को उजागर करता संक्षिप्त आलेख। का.स.).

पिछले कुछ हफ्तों के दौरान हम सभी दुनिया की दो सबसे शक्तिशाली संस्थाओ, विश्वबैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आई.एम.एफ.) के नेतुत्व परिवर्तन प्रक्रिया के साक्षी रहे हैं। परंतु इससे कोई अच्छा संदेश नहीं गया अपितु यह सिध्द हो गया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप........पूरा पढ़ें

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