भाषाओं की सिकुड़ती दुनिया - चंदन श्रीवास्तव

जानकार कहते हैं कि भाषाओं का भूगोल सिकुड़ता जा रहा है। भाषाएं मिट रही हैं और उनके मिटने की रफ्तार हैरतअंगेज है। इस सदी के अंत तक आज के मुकाबले दुनिया में भाषाओं की तादाद आधी रह जाएगी। भाषाओं का मिटना उनके भीतर समाए ज्ञान का मिटना तो है ही कहीं न कहीं मानवता के भविष्य पर मंडराती एक बड़ी विनाशलीला की भी पूर्व-सूचना है।
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साभार- सामयिक वार्ता

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