वो सुबह अभी तो नहीं आयेगी - प्रो. अरुण कुमार

नेहरू के ''नियती से मिलन'' नारे ने आशा जगाई की भारत नई चुनौतियों से मुकाबला करने के लिये जाग उठेगा। 60 वर्ष पूर्व उस ऐतिहासिक दिन के बाद से भारत ने काफी भौतिक उन्नति तो की है परंतु स्वतंत्रता संग्राम के कुछ अन्य लक्ष्य और भी थे। अनगिणत लोगो ने अपना 'आज' हमारे 'कल' के लिये कुर्बान कर दिया था। क्या वह सुंदर कल हमें मिला, क्या वह दृष्टि अलग नहीं थी उस दृष्टि से, जिसके लिये हमने काम किया। संदेह होता है क्योंकि भयंकर गरीबी, अक्षिक्षा और गंदगी एवं बिमारियाँ भारी कीमत वसूल रही हैं। केवल इतना ही नहीं बल्कि हमारे सामने पश्चिम का अनुसरण करने के अलावा और कोई भी दृष्टि नहीं रह गयी है और इस प्रक्रिया में हमने ये दोनो बदत्तार चीजें हीं हासिल की है।.........पूरा पढ़ें

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