मानवाधिकार संगठनों को पुलिस हिरासत में लंबी और कड़ी पूछताछ के दौरान यातना के विरुद्ध सक्रिय रवैया अपनाना चाहिए, कह रहे हैं न्यायमूर्ति एएम अहमदी
देश में 1973 में दंड प्रक्रिया संहिता का संशोधन किया गया। मामला यहीं पर समाप्त नहीं होता। हम पिछले कई वर्षों से इस पर प्रयोग कर रहे थे। पहले हमारे यहां एक प्रक्रिया थी जिसे सुपुर्दगी प्रक्रिया कहा जाता था। यह व्यवस्था हमने अंग्रेजों से ली थी।सुपुर्दगी की प्रक्रिया भारतीय परिस्थितियों में विकसित हुई थी। इसमें कुछ महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। उदाहरण के लिए, जैसे ही कोई अपराध होता है और आरोपपत्र तैयार किया जाता है, महत्त्वपूर्ण गवाहों जैसे कि प्रत्यक्षदर्शियों से तत्काल मजिस्टे्रट की अदालत में शपथ पर बयान लिए जाते हैं। प्रत्यक्षदर्शी का बयान इसलिए लिया जाता है ........पूरा पढ़ें