सरकारी तंत्र पर निगाह डालें तो लगता है कि मानों सरकार देश के गरीब और कमजोर तबके को सशक्त बनाने वाले दो अहम अधिनियमों का अनमने मन से बोझा ढ़ो रही है। राष्ट्रीय ग्रामीण गारंटी अधिनियम (नरेगा) और सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) को जिस तरह की प्रक्रिया से गुजरना पड़ा है, उसे देखने पर यह साफ जाहिर हो गया था कि न तो सरकार और न ही नौकरशाही इन अधिनियमों को पारित कराने में उत्साहित थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले 'राष्ट्रीय सलाहकार परिषद' के समर्थन के बिना तो शायद दोनों अधिनियिम पारित होने संभव ही नहीं थे। लेकिन यह सच है कि इनसे कई और मुद्दे खड़े हो गये हैं। . . . . . . पूरा पढ़ें