सोयाबीन नहीं किसान का जीवन चट किया इल्लियों ने - सचिन कुमार जैन

सोयाबीन पर इल्लियों के आक्रमण से मिले संकेतों को समझने की जरूरत है। यह तथ्य हमारे किसानों के लिए आने वाले विनाश का एक संकेत है कि इस वर्ष मध्यप्रदेश 9.78 लाख हेक्टेयर में बोई गई सोयाबीन की खड़ी फसल को स्पाट ऑप टेरा लिटयूरा इल्ली देखते ही देखते चट कर गई। ऐसा लगता है कि ये इल्लियाँ किसी मुहिम के तहत मध्यप्रदेश के किसानों पर कहर बनके बरपी हैं क्योंकि फसल का विनाश करने के बाद वे खेतों से निकलकर किसान के खलिहान, घर के आंगन और खाट के पायों तक जा पहुंची। वास्तव में ये साफ संकेत है कि सोयाबीन की खेती ने फसल चक्र और पर्यावरणीय अर्थ व्यवस्था को जो नुकसान पहुंचाया है उसे अब रोकने के लिए ये इल्लियां चुनौती देने किसानों के घरों तक पहुंची। अकेले हरदा जिले में डेढ़ लाख हेक्टेयर में से 1.10 लाख हैक्टेयर फसल इल्लियों के पेट में जा चुकी है और वहां अब स्कूल में बच्चे पढ़ाई नहीं बल्कि इल्लियां भोजन के बाद आराम कर रही हैं। यह जानकर और अधिक आश्चर्य होगा कि इन इल्लियों पर किसी भी तरह के कीटनाशकों का असर नहीं हुआ और किसानों को खुद अपने ट्रेक्टरों से खड़ी फसल को नष्ट कर देना पड़ा। इन इल्लियों की उम्र भले ही 30 से 40 दिन की होती है पर ये स्वप्रजनन पध्दति से तीसरे दिन अण्डे देना शुरू कर देती हैं और एक इल्ली से डेढ़ से ढाई हजार इल्लियों का जन्म होता है। इस प्रकोप के कारण 1.07 लाख किसानों के जीवन के लिए संकट काल शुरू हो गया है क्योंकि तीन वर्ष के लगातार सूखे के कारण वैसे ही उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर हो चुकी थी और 80 फीसदी किसान साहूकारों या बैंक के कर्जों तले दबे हुये थे। . . . . . पूरा पढ़ें

मुद्दे-स्तम्भकार