महिला स्वास्थ्य : हर क्षण चरित्र पर सवाल - सचिन कुमार जैन

औरत के नजरिये से समाज एक अलग ही रूप में नजर आता है। वह वैसा रचनात्मक और स्वस्थ्य नहीं होता जिस तरह यह पुरूषों के लिये होता है। यहां महिलाओं के लिये गरीबी शायद एक बड़ा बोझ नहीं है परन्तु हर माह, माहवारी के दौर से गुजरना और उनके गुप्तांगों से होने वाले श्वेत द्रव के बहाव के बोझ से वे दोहरी हुई जाती हैं। विज्ञान के नजरिये से तो यह बहुत गंभीर समस्या नहीं है परन्तु समाज इसे स्त्री के चरित्र, उसके भाग्य और जीवन की स्वच्छता से जोड़कर परिभाषित करता है। . . . . . . .पूरा पढ़ें

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