प्रबुध्द नागरिकता और जमीनी प्रजातंत्र में महिलाएँ - लोकेन्द्रसिंह कोट

राज दरबार खचाखच भरा था। कारण था एक अपराधी को राजा सजा सुनाएँगे। सभी के मन में कौतुहल मिश्रित उत्सुकता थी। राजा आए, अपराधी को लाया गया। राजा ने सिंह की सी आवाज में अपराधी से कहा, हम तुम पर रहम बरतते हैं क्योंकि आज हमारी बेटी का जन्मोत्सव है.....तुम्हे हम अपनी सजा स्वयं चुनने का मौका देते हैं। ये जो तीन तख्ते तुम्हारे सामने रखे हैं उनमें तुम्हारे लिए तीन सजाएँ लिखी हुई हैं......जो चाहो वो तुम चुन सकते हो। अपराधी खुश हुआ.... राजा ने भी एक लम्बा ठहाका लगाया। अपराधी ने एक तख्ता उठाया उस पर लिखा था मौत....। गुस्से में उसने दूसरा भी उठा लिया उस पर भी लिखा था मौत.... और तीसरा उठाया तो उस पर भी लिखा था मौत....। . . . . . पूरा पढ़ें

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