जायजा राज्यों का - सूचना के अधिकार कानून लागू करने में भी मनमर्जी

राज्य सरकारें सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय कानून को मनमर्जी से लागू कर रही हैं। अभी तक राज्य सरकारों को दी कई जिम्मेदारियां पूरी नहीं हुई हैं। इस कानून के बारे में लोगों को जानकारी तक नहीं है। अनेक राज्यों में जनता, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए न तो प्रशिक्षण मॉडयूल बने हैं। न ही प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं। राज्य सरकारें सूचना आयुक्तों को पूरी सुविधाएं नहीं दे रही हैं। कई राज्यों में सूचना मांगने व निरीक्षण करने की मनमानी फीस वसूली जा रही है। समय पर अपीलों की सुनवाई नहीं होती। अपनी पहल से धारा 4 के तहत सूचना नहीं दी जा रही। सूचना मांगने वालों को धमकाया जाता है। आमजन सरकारी दफ्तरों में जाने से डरते हैं। देशभर में सूचना के अधिकार को लेकर बहुत कम संस्था संगठन काम कर रहे हैं। ये जानाकारियां सूचना के अधिकार के राष्ट्रीय अभियान के एक आंकलन से पता चली हैं। इस अभियान ने 17 राज्यों के सूचना के अधिकार के सहयोगी समूहों को एक प्रश्नावली भेजी थी। उनसे इसे भर कर भेजने को कहा गया था। इसी प्रश्नावली से यह जानकारी मिली है। . . . . . पूरा पढ़ें

मुद्दे-स्तम्भकार