औरत के डाकिन होने के मायने

सीधी जिले के सेंदुरा गांव के प्रभावशाली लोगों ने बूटनदेवी नामक एक महिला को ऊपरी बाधा यानी डाकिन के रूप में प्रचारित किया। बूटनदेवी को गांव के पंडा के पास ले जाया गया जहां भूत भगाने के नाम पर पूजा-पाठ करके उसके माथे पर कील ठोक दी गई। लोग कहते हैं कि यह पुलिस या कानून का नहीं समाज का मामला है। समाज किस रूप में पितृसत्ताात्मक है इसका प्रमाण डाकिन या चुड़ैल जैसी व्यवस्थाओं से मिल जाता है। यह माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान जिन महिलाओं की मृत्यु हो जाती है या फिर बुरे कर्म करने वाली और बुरी नजर वाली महिलायें डाकिन या चुड़ैल बनती हैं। . . . . . . पूरा पढ़ें

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