सहरिया आदिवासियों की व्यथा कथा - दो

सरकारी व्यवस्था के ध्वस्त होने का मतलब
मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये जीवन का सबसे बड़ा अर्थ है उपेक्षा। राज्य की सबसे पिछड़ी हुई जनजाति के लोगों की जीवन में भुखमरी, कुपोषण और बीमारियों का चक्रवात ठीक उसी तरह निरन्तरता से आता है, जिस निरन्तरता से व्यापक समाज में अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी आती है। यूं तो सहरिया आदिवासी स्वतंत्रता के बाद से ही सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं किन्तु वर्ष 2001 से यह समुदाय लाल सुर्खियों में रहा है और सुर्खियों में आने का कारण रहा है भुखमरी और बीमारी के कारण इनका सिमटता अस्तित्व। . . . . . . . पूरा पढ़ें

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