नोवार्टिस का चीनी दवा कंपनियों और भारतीय जयचंदों से गठजोड़ -मीनाक्षी अरोड़ा

नोवार्टिस की चाल
पर दवा में अकूत मुनाफे के लालच में पिछले वर्ष स्विटज़रलैंड की नोवार्टिस कम्पनी ने एक नई चाल चली; रक्त कैंसर के इलाज में प्रयोग की जाने वाली दवा ग्लीवेक के फारमूले में कुछ बदलाव करके उसके नये कोपीराईट के लिए अर्जी दी, जो भारत सरकार ने यह कह कर नामंजूर कर दिया कि यह नया आविष्कार नहीं बल्कि पुराने फारमूले में थोड़ी सी अदला-बदली करके किया गया है। इस पर नोवार्टिस ने भारत सरकार पर मुकदमा कर दिया है कि 'भारत का यह कानून डब्ल्यूटीओ के नियमों के विरुध्द है और इस कानून को रद्द कर दिया जाना चाहिये।' पर काफी लड़ाइयों के बाद चेन्नई हाईकोर्र्ट में नोवार्टिस की याचिका खारिज कर दी। . . .

चेन्नई हाईकोर्र्ट में याचिका खारिज होने के बाद नोवार्टिस एक बार फिर भारतीय पेटेंट कानून को कुछ और दांव-पेंच के साथ चुनौती देने की तैयारी कर रही है :-

इस बार नोवार्टिस अकेली नहीं है बल्कि माशेल्कर और शमनाद बशीर जैसे जयचंदों और चीन की 'ओपीटीआर' के दबाव से मुकदमा जीतने की तैयारी की जा रही है।
रोचक मोड़ तो यह है कि चेन्नई हाईकोर्ट में खाए हुए तमाचे के बाद बौखलायी नोवार्टिस ने तुरन्त यह घोषणा कर दी कि भारत में पेटेन्ट कानूनों पर कठोर प्रतिबन्धों के चलते यह चीन में निवेश करेगी।

नोवार्टिस को जब पेटेंट की मंजूरी नहीं मिली तो उसने भारतीय जेनेरिक दवा कंपनियों सिपला आदि की दवा कीमतों को ही चुनौती देना शुरू कर दिया। हाल ही में 'द हिंदू' में सिपला को चुनौती देने वाले विज्ञापन ने इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नीच हथकण्डों की साजिश का पर्दाफाश कर दिया है। . . . . . पूरा पढ़ें

मुद्दे-स्तम्भकार