मीडिया पर न्यायपालिका का आतंक- प्रशांत भूषण

हाल ही में गुजरात में 'वारंट्स फॉर कैश' मामले पर स्टिंग ऑपरेशन करने वाले एक टी.वी. पत्रकार पर चीफ जस्टिस के कहर ने एक बार फिर न्यायपालिका की जवाबदेही और अवमानना की न्यायिक शक्ति पर सवालिया निशान लगा दिये हैं। टी.वी. पत्रकार ने गुजरात जिला न्यायालय के कुछ अधिकारियों के खिलाफ स्टिंग ऑपरेशन किया, जिसमें उन्हें गुजरात न्यायालय से वारंट जारी कराने के लिये तत्कालीन राष्ट्रपति, उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और अन्यों के खिलाफ, रिश्वत देकर वारंट जारी कराए गए थे। उच्चतम न्यायालय को इसकी सूचना देने के बाद फिल्म का प्रसारण किया गया। उच्चतम न्यायालय के द्वारा इस मामले को गंभीरता से लिये जाने के बाद गुजरात उच्च न्यायालय ने वारंट जारी करने वाले न्यायिक अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी। फिर भी उच्च न्यायालय ने इन न्यायिक अधिकारियों को दोषी करार नहीं दिया। उसके बाद वर्तमान चीफ जस्टिस ने उस पत्रकार को बुलाकर माफी मांगने के लिए धमकाया, अन्यथा उसे न्यायालय की अवमानना के अपराध में जेल भेज दिया जाएगा।

मीडिया ने चीफ जस्टिस के गुस्से को लेकर काफी खबरें छपीं और मुख्य न्यायाधीश द्वारा अवमानना के दण्ड की धमकी को अनुचित भी बताया लेकिन; धमकी ने अपना प्रभाव दिखा दिया था। कुछ दिन पहले ही 'कैम्पेन फॉर ज्यूडिशियल अकाउण्टेबिलिटि एंड रिफॉर्मस्' ने भारतीय न्यायपालिका के सर्वोच्च पद पर ही न्यायिक कदाचार के मामले को उजागर करने के लिये 3 अगस्त को दिल्ली में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया। इस कैम्पेन में जस्टिस कृष्णा अय्यर, जस्टिस सावंत, श्री शांति भूषण, एडमिरल तेहलियानी व अन्य गणमान्य व्यक्ति शामिल हैं। कांफ्रेंस में बांटे गए 'डॉकुमेंट्स' और तथ्यों के आधार पर इस बात का खुलासा हुआ कि कैसे एक पूर्व चीफ जस्टिस के बेटों ने शॉपिंग मॉल्स और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स के बड़े डेवलपर्स के साथ साझा किया और ठीक उसी वक्त इस धंधे में हाथ डाला जब उसके पिता ने आवासीय क्षेत्र में व्यवसायिक प्रतिष्ठानों की सीलिंग के आदेश दिए लेकिन आदेश के पारित होने से पहले ही उनके बेटों ने अपने आवासीय क्षेत्र से चल रहे व्यावसायिक कार्यालय को स्थानांतरित कर लिया था, उसके बाद सीलिंग के आदेश दिए गए। इन आदेशों ने शहर में कहर मचा दिया, लाखों दुकानों और दफ्तरों को बंद कर दिया गया और कितनों को मॉल्स और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में जगह लेने के लिए मजबूर किया गया, साथ ही जगह के दाम भी तेजी से बढ़ा दिये गए।

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