छत्तीसगढ़ के विख्यात मानवाधिकार कार्यकर्ता और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. विनायक सेन नाहक सौ दिन से जेल में हैं। उनका अपराध यह है कि वे मानवाधिकार हनन के विरुध्द लड़ते हैं। आम आदमी पर सरकारी दमन-उत्पीड़न के विरुध्द संग्रामरत मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर आक्रमण कोई नई बात नहीं है, पर विनायक सेन पर हुआ छत्तीसगढ़ सरकार का आक्रमण अभूतपूर्व है। छत्तीसगढ़ सरकार ने डॉ. विनायक सेन के विरुध्द कुख्यात 'छत्तीसगढ़ स्पेशल पब्लिक सिक्योरिटी एक्ट' और 'अन लाफुल आर्गेनाइजेशंस प्रोहिबिशन एक्ट' के तहत संगीन मामले दायर कर उन पर आक्रमण बोला। संग्रामियों पर आक्रमण करने और मनुष्य का अधिकार हरण करने के मामले में वामपंथियों और दक्षिणपंथियों में कोई अंतर नहीं है। विनायक सेन लंबे समय से मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल से संबध्द हैं। वे इस संगठन की छत्तीसगढ़ इकाई के महासचिव हैं। पीयूसीएल के इस नेता को छत्तीसगढ़ पुलिस ने 14 मई को गिरफ्तार किया था । विनायक की गिरफ्तारी को उनके सहयोगियों ने चुनौती दी। रायपुर हाईकोर्ट ने 23 जुलाई को विनायक सेन की जमानत याचिका खारिज कर दी। जो विनायक आम अदमी के न्यूनतम अधिकारों के लिए संग्राम कर रहा था, उसे जेल में डाल दिया गया है। मेरी राय में जेल के प्राचीर से विनायक का संघर्ष बड़ा है। जेल में डालकर ऐसे बड़े व्यक्तित्वों को न छोटा किया जा सकता है और न तोड़ा जा सकता है।
छत्तीसगढ़ सरकार की नाराजगी की वजह यह है कि विनायक सेन वहां जून 2005 से ही 'सलवा जुडूम' की आड़ में चल रहे सरकारी दमन उत्पीड़न अभियान के बारे में तथ्य संग्रह कर रहे थे। उनके इस काम में राजेंद्र शैल, सुधा भारद्वाज, रश्मि त्रिवेदी और इलिना सेन (विनायक सेन की पत्नी) उनके सहयोगी थे। पीयूसीएल ने इस संबंध में जो तथ्य एकत्र किए हैं, उनसे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में 'सलवा जुडूम' की आड़ में व्यापक पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है और सरकारी धन से 'प्राइवेट आर्मी' बनाई गई है। अपनी गिरफ्तारी के ठीक पहले विनायक सेन ने बीजापुर तहसील के संतोषपुर व पानजेहार ग्राम में 12 नागरिकों की हत्या की घटना में शामिल पुलिस अफसरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अदालती दरवाजा खटखटाने की घोषणा की थी। विनायक सेन पेशे से चिकित्सक हैं। गरीबों की रक्षा के लिए लड़ते हैं और उसी के समानांतर सीधे-सीधे कई रचनात्मक काम भी उन्होंने किए हैं। विनायक ने 15 साल पहले 1992 में छत्तीसगढ़ के धमतरी जनपद के बगरुमनाला गांव में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोला। उसके कुछ वर्ष उपरांत उन्होंने केकराखोली गांव में स्कूल खोला अब वहां सरकारी स्कूल चल रहा है। जब तक विनायक सेन ने स्कूल चलाया, तब तक वह व्यवस्थित ढंग से चल रहा था, अब वहां पढ़ाई नहीं होती।
छत्तीसगढ़ के धमतरी के ग्रामीणों की नजर में विनायक सेन मसीहा हैं। इसीलिए ग्रामीणों ने डॉक्टर की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया। लगता है सरकारी आतंकवाद का चरित्र हर कहीं एक-सा लगता है। इसके विरुध्द देशव्यापी आंदोलन का प्रयोजन मैं शिद्दत से महसूस रही हूं। -साभार हिन्दुस्तान