
छत्तीसगढ़ सरकार की नाराजगी की वजह यह है कि विनायक सेन वहां जून 2005 से ही 'सलवा जुडूम' की आड़ में चल रहे सरकारी दमन उत्पीड़न अभियान के बारे में तथ्य संग्रह कर रहे थे। उनके इस काम में राजेंद्र शैल, सुधा भारद्वाज, रश्मि त्रिवेदी और इलिना सेन (विनायक सेन की पत्नी) उनके सहयोगी थे। पीयूसीएल ने इस संबंध में जो तथ्य एकत्र किए हैं, उनसे पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में 'सलवा जुडूम' की आड़ में व्यापक पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है और सरकारी धन से 'प्राइवेट आर्मी' बनाई गई है। अपनी गिरफ्तारी के ठीक पहले विनायक सेन ने बीजापुर तहसील के संतोषपुर व पानजेहार ग्राम में 12 नागरिकों की हत्या की घटना में शामिल पुलिस अफसरों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर अदालती दरवाजा खटखटाने की घोषणा की थी। विनायक सेन पेशे से चिकित्सक हैं। गरीबों की रक्षा के लिए लड़ते हैं और उसी के समानांतर सीधे-सीधे कई रचनात्मक काम भी उन्होंने किए हैं। विनायक ने 15 साल पहले 1992 में छत्तीसगढ़ के धमतरी जनपद के बगरुमनाला गांव में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोला। उसके कुछ वर्ष उपरांत उन्होंने केकराखोली गांव में स्कूल खोला अब वहां सरकारी स्कूल चल रहा है। जब तक विनायक सेन ने स्कूल चलाया, तब तक वह व्यवस्थित ढंग से चल रहा था, अब वहां पढ़ाई नहीं होती।
छत्तीसगढ़ के धमतरी के ग्रामीणों की नजर में विनायक सेन मसीहा हैं। इसीलिए ग्रामीणों ने डॉक्टर की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन किया। लगता है सरकारी आतंकवाद का चरित्र हर कहीं एक-सा लगता है। इसके विरुध्द देशव्यापी आंदोलन का प्रयोजन मैं शिद्दत से महसूस रही हूं। -साभार हिन्दुस्तान