आज सैनिक और कूटनीतिक कार्यवाहियां विश्व के सामने एक अहम चुनौती बनी हुई हैं। हालांकि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों ने तिब्बत के मुद्दे को बड़ी समस्या की सूची से निकाल दिया है, जहां अफगानिस्तान, फिलीस्तीन, ईराक, लेबनान और अन्य संघर्षरत क्षेत्रों पर ध्यान लगाया गया है, वहीं तिब्बत की समस्या को हल करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं, जबकि चीन स्थानीय लोगों को चूहों की तरह मसल रहा है, फिर भी दुनिया के किसी कोने से विरोध के स्वर या समर्थन के स्वर उठते सुनाई नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि भारत भी अपने द्वार पर खड़े उपनिवेश को देखकर भी आंखें मूंद रहा है और भारत और चीन के बीच खड़े तिब्बत के स्ट्रेटेजिक महत्व तक को भूल गया है कि तिब्बत दो एशियाई शक्तियों के बीच सुरक्षा क्षेत्र (बफर स्टेट) की भूमिका निभा रहा है।...................
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