'वर्दी में और उसी असेंबली से चुनाव लड़ना' ही मुशर्रफ की प्राथमिकता : सफदर बलोच/इस्लामाबाद/ समकाल हिन्दी पाक्षिक

उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बेनजीर और मुशर्रफ द्विपक्षीय समझौते का मतलब है कि जनरल मुशर्रफ को आने वाले पांच साल के लिए फिर से राष्ट्रपति चुना जाएगा और भुट्टो को कुछ रियायतें दी जाएंगी। इन रियायतों में भुट्टो के खिलाफ लगाए गए भ्रष्ट्राचार के सभी आरोपों को वापस लिया जाएगा और उन सभी मुकद्मों को भी जल्द ही खत्म कर दिया जाएगा। तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की राह में आने वाली उन सभी बाधाओं को दूर कर दिया जाएगा, जिनके कारण वे आगामी चुनाव के लिए अयोग्य घोषित की गईं थीं। जैसा कि उन पर पब्लिक आफिसिस आर्डर 2002 के तहत प्रतिबंध लगाया गया था। मुशर्रफ ने उस समय यह आदेश इसलिए लागू किया था ताकि 'कोई भी भ्रष्ट राजनेता देश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश न करे'।

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के एक नेता ने बताया कि उनकी पार्टी के लिए यही अच्छा होगा कि वह मुशर्रफ को सेना की वर्दी के बिना चुनाव में खड़े होने के लिए समर्थन दे। चुनाव के दिन भी अगर वह अपनी वर्दी में रहते हैं तो यह हमारी पार्टी के लिए बड़ी समस्या बन सकती है। हालांकि जनरल मुशर्रफ कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहते। वह अपने इस द्विपक्षीय रिश्ते को अगले सत्र के लिए एक गारंटर की तरह इस्तेमाल करना चाहते हैं। राष्ट्रपति सूत्रों के मुताबिक 'वर्दी में और उसी असेंबली से चुनाव लड़ना' ही मुशर्रफ की प्राथमिकता है।

वर्तमान हालात को देखते हुए लगता है कि शायद ही मुशर्रफ वर्दी छोड़ें। मुशर्रफ वादा तो कर रहे हैं कि वादा निभाउंगा, पर विश्वास कौन करे, अमेरिका मुशर्रफ को राष्ट्रपति देखना चाहता है, जो अब होने जा रहा है। अगर विपक्षी पार्टियां इस्तिफा देती हैं तो शायद एक नया नजारा मिले.................

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