उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रदेश की नई कृषि एवं अवस्थापना निवेश नीति लागू करने की घोषणा की। इस नीति के तहत निजी कम्पनियों और किसानों के लिए अनुबंध खेती (कांट्रैक्ट फार्मिंग) का विकल्प खोल दिया गया है जिसके तहत कम्पनियाँ सीधे किसानों को बीज, खाद और कर्ज सुविधा उपलब्ध कराकर उनके द्वारा उत्पादित गेहूँ, चावल, दाल, फल, फूल, सब्जी इत्यादि खरीद सकेंगी और रिटेल बाजार में बेच सकेंगी। बड़े निवेशकों को मंडी स्थल के बाहर खरीदने-बेचने की सुविधा होगी। सरकार इसके लिए लाइसेंस जारी करेगी तथा एकल लाइसेंस की व्यवस्था की गयी है। इसके लिए मण्डी परिषद एक्ट, 1964 में संशोधन किया गया है। न्यूनतम रु. 500 करोड़ वाले निवेशक इच्छा अभिव्यक्ति पत्र प्रस्तुत करेगें तथा उन्हें 3 वर्ष में कृषि व्यवसाय एवं सम्बंधित क्षेत्र में 5,000 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। (किसानों और जनसंगठनों के विरोध के कारण मायावती ने यह नीति 23 अगस्त को वापिस ले ली है।)