चरम विकास के इस दौर में यह कोई चौंकाने वाला तथ्य नहीं है कि भारत के अंदर दो भारत हैं। एक वह भारत है जहां बड़ी-बड़ी इमारतें, शानो-शौकत, चमचमाते शॉपिंग माल्स और उच्च तकनीक से बने गगनचुम्बी पुल, जिन पर नजर आती हैं दूर तक, दौड़ती हुई नई-नई आधुनिक गाड़ियां। यह उस वैश्विक भारत की तस्वीर है जो प्रथम विश्व यानी विकसित विश्व के प्रवेश द्वार पर खड़ा है। दूसरा है दीन-हीन भारत, जहां नजर आते हैं निसहाय किसान, जो विवश हैं आत्महत्या करने के लिए, अवैधानिक रूप से मरते हुए दलित, अपनी ही कृषि भूमि और जीविका से बेदखल की हुई जनजातियां, चमचमाते शहरों की गलियों में भीख मांगते छोटे-छोटे बच्चे। इस दूसरे भारत के दीन-हीन व्यक्ति के विद्रोह के स्वर से आज देश के लगभग 607 में से 120-160 जिलों में उग्र नक्सलवादी ........