यमुना की मौत और कॉमनवेल्थ खेल -शिराज केसर और मंजू जैन

दिल्ली के भूभाग पर हृदय धमनियों की तरह बहने वाली यमुना के तटों पर कॉमनवेल्थ खेल- 2010 के आयोजन की तैयारियाँ जोर-शोर पर हैं। पूरी दिल्ली तथा नोएडा में कॉमनवेल्थ खेल पर 8,000 करोड़ रुपया खर्च का अनुमान है। यमुना तट तथा नोएडा में होटल, मॉल, मेट्रो रेलवे का रास्ता और स्टेशन आदि के लिए निर्माण जोर-शोर से चालू हैं। कॉमनवेल्थ खेल के आयोजन के काफी हिस्से का निर्माण पूर्वी यमुना तट पर होना है। कायदे-कानूनों सहित यमुना तट की भूभौगोलिक परिस्थितियों की अनदेखी भी भयानक रूप से की जा रही है। मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग दोनों मात्र इस बात से खुश है कि यमुना तट पर 5000 से ज्यादा आवासीय फ्लैटों का निर्माण हो रहा है। इससे रीयल एस्टेट के दाम घटेंगे, पर कॉमनवेल्थ खेल के शोर में यमुना के दर्द को जानने-समझने का शायद किसी के पास वक्त है।

एक जीती-जागती नदी की धीरे-धीरे मौत के गवाह हैं हम। सीएसई के सुरेश बाबू कहते हैं कि ''हमेशा से यमुना दिल्लीवासियों की पानी की जरूरत को पूरा करती रही है, वही आज दिल्ली के लिए कलंक बन गई है।'' दिल्ली में यमुना की लम्बाई 22 किलोमीटर है जो यमुना की कुल लम्बाई का दो फ़ीसदी है। पर यमुना के कुल प्रदूषण का 70 फीसदी अकेले दिल्ली के लोग करते हैं।

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