माटी का मोलभाव : संजय तिवारी

एसईजेड के मोहपाश से कोई सरकार मुक्त नहीं है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से औद्योगीकरण के खिलाफ देश के किसान और मजदूर ही लामबंद हो रहे हैं। महाराष्ट्र का कोंकण, पश्चिम बंगाल का सिंगूर और नंदीग्राम, पंजाब का बरनाला और अमृतसर, हरियाणा का झज्जर और गुड़गांव, छत्तीसगढ़ का धुरली और बांसी, उत्तर प्रदेश का दादरी, उड़ीसा का कलिंग क्षेत्रा इसके प्रमाण बन गये हैं कि एसईजेड के नाम पर किसानों की जमीन को अनाप-शनाप तरीके ये कब्जा किया जा रहा है।
पश्चिम बंगाल में एक तरह से सरकार, पार्टी कॉडर और आम आदमी के बीच खुला युध्द चल रहा है। नंदीग्राम में कॉडर से लोहा ले रही कृषि जमीन रक्षा कमेटी ने तय किया है कि वहां एक इंच जमीन सरकार को अधिगृहित नहीं करने देंगे। इससे 30 गांव और 40 हजार परिवार विस्थापित होंगे। पश्चिम बंगाल में किसानों का नेतृत्व कर रहे स्पप्न गांगुली कहते हैं ''पश्चिम बंगाल सरकार टाटा, सलेम ग्रुप और अंबानी चला रहे हैं। वहां सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। सीपीआई का मतलब कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की जगह कैपिटलिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया हो गया है।'' इसी तरह के हालात उड़ीसा में हैं। उड़ीसा के कलिंग नगर में एसईजेड का विरोध कर रहे प्रफुल्ल सुमंत्रा लोकशक्ति अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। वे बताते हैं ''कलिंग नगर में 50 हजार एकड़ जमीन पर एसईजेड बनाया जा रहा है। लेकिन जनवरी 2006 में किसान .......

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