तार-तार हुआ सोशल (ब्राह्मण+ दलित) इंजीनियरिंग: शाहनवाज़ आलम

प्रतापगढ़ के भदेवरा गाँव की दलित बस्ती में पहँच कर आपको चक्रसेन का घर नहीं पूछना नहीं पड़ेगा। एक फूस की झोपड़ी की आड़ से उसकी हत्या के हफ्तों बाद भी आती एक महिला के विलाप की आवाज आपको उसके घर पहँचा देगी। जहाँ आप उस महिला से बात करने से पहले कई बार साहस जुटाएंगे और बसपा के सोशल इन्जीनियरिंग पर सोचने को मजबूर होंगे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र चक्रसेन गौतम को 1 अगस्त की सुबह गाँव के ही दबंग ब्राह्मणों ने सिर्फ इसलिए पीट-पीट कर मार डाला कि उनसे एक दलित छात्र के बी0टेक की प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हाने की खबर बर्दाश्त नहीं हो पायी। इस पूरे घटनाक्रम की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि हत्या करने वाले सभी दबंग बसपा से सम्बध्द थे और उन्होने तीन महीने पहले ही बसपा के ब्राह्मण-दलित गठजोड़ के सोशल इन्जीनियरिंग के तहत मायावती को चुनावी वैतरणी पार करायी थी।

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