जज कानून से ऊपर तो नहीं: प्रशांत भूषण

हाल में टीवी पत्रकार विजय शेखर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी भरी टिप्पणी की थी। उससे लोगों की यह धारणा मजबूत ही हुई है कि न्यायपालिका अपने भीतर की सड़ांध को छिपाने के लिए अपने अवमानना अधिकारों का प्रयोग करने की कोशिश करती है। शेखर ने यह दिखाने के लिए स्टिंग ऑपरेशन किया था कि किस तरह भ्रष्ट तरीके से गुजरात की अदालतों से गिरफ्तारी वारंट हासिल किया जा सकता है। मीडिया और सभ्य समाज को न्यायपालिका के अपने अवमानना अधिकारों के प्रयोग की कोशिश का पुरजोर विरोध करना चाहिए। अगर हम अवमानना की कार्रवाई की धमकियों से डरते रहेंगे तो अपने गणतंत्र के भीतर एक गैरजवाबदेह न्यायिक तानाशाही को पनपने देने के दोषी होंगे।यही सोच कर इस साल मार्च में दिल्ली में आयोजित नेशनल पीपुल्स कॅन्वेंशन में न्यायिक जिम्मेदारी एवं सुधार अभियान का गठन किया गया।

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